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जम कर बिखरा ‘कोलावरी’ का जलवा, कुछ जादुई आवाजें हुईं खामोश

वर्ष-2011 नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा)। इस साल भारतीय संगीत में कई ऐसे गाने छाए रहे, जिन्हें परंपरागत तो नहीं कहा जा सकता। गानों में अशिष्ट भाषा के प्रयोग का चलन भी सामने आया और जीवनपर्यंत संगीत प्रेमियों को आनंदित करती रही कुछ जादुई आवाजें सदा के लिए खामोश हो गयीं। साल के शुरू में […]
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वर्ष-2011

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा)। इस साल भारतीय संगीत में कई ऐसे गाने छाए रहे, जिन्हें परंपरागत तो नहीं कहा जा सकता। गानों में अशिष्ट भाषा के प्रयोग का चलन भी सामने आया और जीवनपर्यंत संगीत प्रेमियों को आनंदित करती रही कुछ जादुई आवाजें सदा के लिए खामोश हो गयीं।
साल के शुरू में ही संगीतप्रेमियों को उस समय बड़ा झटका लगा, जब भारतीय शास्त्रीय संगीत के जाने माने गायक भारत रत्न भीमसेन जोशी चिरनिद्रा में लीन हो गये। 24 जनवरी को किराना संगीत घराने के इस 88 वर्षीय संगीत पुरोधा का निधन हुआ और शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली परंपरा से जुड़ी एक जादुई आवाज अपनी प्रतिध्वनि पीछे छोड़ दुनिया से चली गई।
बॉलीवुड संगीत की बात करें तो यह साल लीक से हटकर संगीत बनाने वालों और इस तरह के संगीत को पसंद करने वालों के नाम रहा। गीत के बोलों को लेकर जमकर प्रयोग किए गए। इस दौरान अशिष्ट शब्द, द्विअर्थी शब्द हिंग्लिश भाषा के गीत लोगों को खासे पसंद आए। आइटम नंबर के नाम पर फूहड़ गीत संगीत प्रचलन में रहा और हैरत की बात यह रही कि लोगों ने इसे पसंद किया।
आयटम नंबरों में ‘डबल धमाल’ फिल्म का ‘जलेबी बाई’ गीत, ‘थैंक यू’ फिल्म का ‘रजिया गुंडों में फंस गई’, ‘रेडी फिल्म’ का गीत ‘कैरेक्टर ढीला’, ‘रा.वन’ फिल्म का ‘छम्मक छल्लो’ गीत और ‘डर्टी पिक्चर’ फिल्म का ‘उू ला ला’ जैसे गीत छाए रहे। इन गीतों की फूहड़ बोलों की वजह से आलोचना भी हुई।
जुलाई में आई फिल्म ‘देल्ही बेली’ अपनी कहानी और कलाकारों से ज्यादा अपने द्विअर्थी गीतों की वजह से चर्चित हुई। राम संपत के संगीत से सजी इस

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जगजीत सिंह, भूपेन हजारिका, भीमसेन जोशी

फिल्म का गीत ‘भाग डीके बोस’ अपने दोहरे अर्थ को लेकर जमकर विवादों में रहा। यह गीत लोकप्रिय हुआ और इससे जुड़े विवाद का फिल्म को फायदा भी मिला।  इस साल वैसे तो कई गाने चर्चित हुए लेकिन तमिल सनसनी रजनीकांत के दामाद और तमिल अभिनेता धनुष का गाया ‘कोलावरी डी’ गीत बिना बात ही चर्चा में आ गया। गीत को पसंद करने वालों में देश ही नहीं विदेश के लोगों की भी भरमार रही।  शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के लिए यह साल गमगीन करने वाला रहा। भीमसेन जोशी के अलावा कई नामचीन फनकार दुनिया छोड़कर चले गए। शास्त्रीय संगीत के अलावा दूसरी गायन शैली के भी कई कलाकार दुनिया से विदा हुए। इनमें गज़ल सम्राट जगजीत सिंह और असम के प्रसिद्ध गायक और संगीतकार भूपेन हजारिका का नाम शामिल है।  इस साल भारत विदेशी फनकारों का पसंदीदा ठिकाना रहा। जहां प्रसिद्ध अमेरिकी गायक एकॉन ने शाहरूख खान की फिल्म ‘रा.वन’ का ‘छम्मक छल्लो’ गीत गाया वहीं लेडी गागा फार्मूला वन के समारोह में अपने बिंदास गायिकी का नजारा पेश करती दिखीं। विदेशी संगीत के शकीरा, पिटबुल जैसे नामचीन फनकार भी इस साल भारत आए।

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